Monday, December 13, 2010

इक कोशिश जरूरी है



भागती दौड़ती जिन्दगी में संवेदनाओं के लिए जगह कहा है
तेज़ रफ़्तार जिन्दगी में खुद के लिए समय कहा हे

साधन और साध्य में कुछ फ़र्क तो होता है
लक्ष्य और अरमान इक दूजे से जुदा होता हे
इन छोटे छोटे फर्क पर कुछ विचार जरूरी है
मन की आवाज़ सुनने के लिए कुछ तन्हा पल जरूरी है

हम खुद के बारे में दूसरों की राय जानना चाहते है
कुछ सलाह सुनकर खुद में सुधार लाना चाहते है
बस मन की कंदराओं में झाँकने की दरकार है
सारे जवाबों की लगी यहाँ कतार है

इक कोशिश खुद को खुद से मिलाने की जरूरी है

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