Saturday, September 13, 2014

डर, अविश्वास का पेड़

एक पेड़ है मेरे घर के आंगन मे,
   दैत्याकार, बड़ा घना सा है|
फलो से लदा है, बड़ी मोटी है शाखाएं 
   बीज इसका मैने ही बोया था 
मेरे घर, मेरे मुहल्ले से मिला था मुझे
   दोस्तों और शिक्षकों ने मिल के पानी डाला था 
मैं बढ़ती गई, और पेड़ भी बढ़ता गया |

जब से पता चला है, फल जहरीला है इसका 
   तब से हर सुबह हाथ मे कुल्हाड़ी थामे उठती हूँ |
हर घड़ी कोशिशे जारी है की काट दूं इसे 
   फिर हर रात कर थक सो जाती हूँ 

मुहल्ले मे घुटन बढ़ गयी है आजकल 
लगता है फल बहुत लोगो ने चखा है|