Thursday, August 4, 2011

एलबम


आज मैंने पलटा एलबम
वो संजोये हुए है मेरी यादों को
कुछ नई हैं , कुछ ज़रा पुरानी हो गई हैं
छूते ही हर याद मानो कर रही है अपनी उम्र बयां
इन पन्नो पर इनका छपना कुछ वैसा ही है
जैसे खूबसूरत पलों को कैद करने की चाहत उभरती है आँखों में

आजकल तो यादें कम्प्यूटर की स्क्रीन पर चला करती हैं
कल गलती से मेरी कुछ यादें डिलीट हो गई
जैसे परिन्दें उड़ जाते हैं मौका पाकर !!

- अंकिता पाठक
४ अगस्त , २०११

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