शुरू हुई थी कुछ रीतियाँ
लोगों के मिलने मिलाने के लिए
सोचा होगा जुड़ेंगे एक जगह
साथ उत्सव मानाने के लिए
आज कल तो हर गली में
सब अलग-अलग इकठ्ठे होते हैं
अलग-अलग आती हैं आवाजें
सामूहिक शोर बन जाने के लिए
गुम हो चला है उद्देश्य कहीं
जो था एकता बढाने के लिए
-अंकिता
लोगों के मिलने मिलाने के लिए
सोचा होगा जुड़ेंगे एक जगह
साथ उत्सव मानाने के लिए
आज कल तो हर गली में
सब अलग-अलग इकठ्ठे होते हैं
अलग-अलग आती हैं आवाजें
सामूहिक शोर बन जाने के लिए
गुम हो चला है उद्देश्य कहीं
जो था एकता बढाने के लिए
-अंकिता
२ सितम्बर २०११
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