बस की ये दीवाली आई , सोचा मैंने की करवाऊ सफाई
पर जैसे ही शुरू की पुताई , देखा कि घर की छत टूट गईमन होता है रसोईघर में संगमरमर लगवाऊ , दीवारें नए रंगों से सजाऊ
देखा की घर की छत टूट गई
मंदिर में बैठा लेने राम नाम , सोचा मिलेगी कुछ शांति
पर जेसे ही बिछाया आसन , मैने पाया की फर्श भी तड़क गई
देखा की घर की छत टूट गई
आज मन कर रहा हे लिखू कुछ , ली मैने हाथ में कॉपी
उठाई कलम , पर ये क्या स्याही तो खतम हो गई
देखा की घर की छत टूट गई
परेशानियां तो बनी रहती हे , पर बस अब गिनाउंगा नहीं ,
कोशिश करूंगा मुस्कुराने की , दर्द बांटकर बढ़ाऊंगा नहीं
तो क्या हुआ जो घर की छत टूट गई
मंदिर में बैठा लेने राम नाम , सोचा मिलेगी कुछ शांति
पर जेसे ही बिछाया आसन , मैने पाया की फर्श भी तड़क गई
देखा की घर की छत टूट गई
आज मन कर रहा हे लिखू कुछ , ली मैने हाथ में कॉपी
उठाई कलम , पर ये क्या स्याही तो खतम हो गई
देखा की घर की छत टूट गई
परेशानियां तो बनी रहती हे , पर बस अब गिनाउंगा नहीं ,
कोशिश करूंगा मुस्कुराने की , दर्द बांटकर बढ़ाऊंगा नहीं
तो क्या हुआ जो घर की छत टूट गई
No comments:
Post a Comment