रास्ते में चट्टाने कहीं द्वीप कहीं टापू थे ,बाधाएं थी अनेक और वो सामना करने को तैयार थी
ना था उसे पत्ते का सहारा कोई ,ना किसी साथी के वो साथ थी , ना लहरों से कोई दोस्ती ना साहिल के वो पास थी
पर उसकी कोशिशें जारी थी की कहीं किनारा मिल जाए , पर उसकी कोशिशें जारी थी की धरती से वो मिल जाए
हालात के आगे हारना उसे नामंजूर था और बहाव के साथ बहना ही उसका नसीब था
ऐसे तूफ़ान में तो वो ऊँचा पेड़ भी गिर गया , उसकी जड़े भी हिल गई , वो लहरों संग बह चला
पेड़ के तने पर वो नन्ही जान सवार हुई ,उसके सहारे एक द्वीप पर पहुंची और तूफ़ान से पार हुई
वहां पर हरियारी थी ,फूलों की फूलवारी थी ,वो समुन्दर के बीच थी फिर भी लहरों से दूर थी
चींटी को साहिल नहीं मिला फिर लेकिन धरती का सहारा साथ था , नभ को वो छू न सकी पर क्षितिज उसके पास था